वास्तु अनुसार भूमि परीक्षण के तरीके:
- दो या तीन महीने /(6 माह) तक के बच्चे को उपयुक्त मौसम में (न ज्यादा सर्दी ना ज्यादा गर्मी) उस भूमि के ब्रह्म स्थान में बच्चे को गोद में लेकर बच्चे को रखेंगें, यदि बच्चा व्याकुलता अनुभव करता है। तो वह भूमि अनुपयुक्त है। बच्चे को प्रसन्न होने पर भूमि अतिश्रेष्ट मानी जाती है।
- उस भूमि के चारों कोनों में तथा ब्रह्मस्थान में ड़ेढ बाई ड़ेढ का डे़ढ फीट गहरा खड्डा खोदे निकली हुई मीट्टी को पुनः गड्डे में भरने पर यदि मीट्टी गड्डे में समतल आती है। तो वह नोर्मल, तथा मीट्टी कम पड़ने पर भूमि ऊधम मानी जाएगी अतः वह गृह-निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं है। यदि गड्डे भरने के बाद मे मीट्टी बच रही है तो उत्तम भूमि मानी जाती है। यदि दो खड्डों में मिट्टी बचती है और दो में मिट्टी कम पड़ती है तो हो ऐस होने पर उनका एवरेज तथा ब्रह्मस्थान वाले से मुख्य परिणाम निकालेगें।
- प्लाट के चारों कोनों मे तथा ब्रह्मस्थान पर या केवल ब्रह्मस्थान 1) फीट ग 1) ली (लगभग) का खढ़ा खोदकर उसमें पानी भरेंगे 10 से 15 मिनिट बाद उस पानी को पुनः देखनेपर यदि पानी बचता है तो वह भूमि श्रेष्ट है। और यदि पानी न के बराबर रहता हैं वह मिट्टी अच्छीखासी गीली रहती है तो वह नार्मल रहेगी, और यदि पानी बिल्कुल सुख जाता है, व भूमि तड़क जाती है। तो वह भूमि ऊधम है। (उस पर निर्माण कार्य नहीं करना चाहिएं)
Blog Post By : Dr. A. K. Jain, Best Vastu Consultant in Udaipur, India.
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Bhumi chayan ke bareme aachha jankari mila sir ty🙏
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भूमि की पहचान कैसे करें यह बात समझ में आई
Bhumi parikshan ka acha upai ke bare me yha samjhaya gaya hai, isse sabhi bhumi parikshan kar paiyega, agar is topics ko acha tarha se samjhenge to
Bhumi parikshan kaise kare yeh pata chala sir
Bhumi parikshan ka naral tari ka
Nice information
वास्तु अनुसार भूमि परीक्षण के तरीकेे
2 या 3 महीने/ 6 महीने तक के बच्चे को उपयुक्त मौसम में उस भूमि के ब्रह्म स्थान में बच्चे को गोद में लेकर रखेंगे यदि बच्चा व्याकुलता का अनुभव करता है ,तो वह भूमि अनुपयुक्त है। बच्चे को प्रसन्न होने पर भूमि अति श्रेष्ठ मानी जाती है ।
उस भूमि के चारों कोनों में तथा ब्रह्म स्थान में डेढ़ बाई डेढ़ फीट गहरा गड्ढा खोदे निकली हुई मिट्टी को पुनः गड्ढे में भरने पर यदि मिट्टी गड्ढे में समतल आती है तो वह नॉर्मल तथा मिट्टी कम पड़ने पर भूमि उधम मानी जाएगी ।अतः वह गृह निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं है ।यदि गड्ढे भरने के बाद में मिट्टी बच रही है तो उत्तम भूमि मानी जाती है ।इस प्रकार का प्रयोग ब्रह्म स्थान में भी किया जा सकता है।
प्लॉट के चारों कोनों में तथा ब्रह्म स्थान पर या केवल ब्रह्म स्थान पर 1 फीट गड्ढा खोदकर उसमें पानी भरेंगे 10 से 15 मिनट बाद उस पानी को पुनः देखने पर यदि पानी बचता है तो वह भूमि श्रेष्ठ है यदि पानी ना के बराबर रहता है तो वह मिट्टी अच्छी खासी गीली रहती है तो नॉर्मल रहेगी और यदि पानी बिल्कुल सूख जाती है व भूमि तड़क जाती है तो वह भूमि ऊधम है ।(उस पर निर्माण कार्य नहीं करना चाहिए।)
Bhumi parikshan ki achi jankari mili sir
acchi jankari mili sir
Nice information for land.
GOOD (ISHWAR CHAND ,ESHMAHAJAN@GMAIL.COM)
Bahut badiya jankari guruji
Very good information
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Good information sir