वास्तु शास्त्र केवल दीवारों, दरवाजों और कमरों की स्थिति तक सीमित नहीं है। वास्तव में यह पाँच तत्वों (पंचतत्व) – जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश – पर आधारित है। प्रत्येक दिशा किसी न किसी तत्व से जुड़ी होती है और उसी के अनुसार रंगों का प्रयोग करने से जीवन में संतुलन, स्वास्थ्य और समृद्धि आती है।
दिशाएँ: NNW, N, NNE, NE
जल जीवन का आधार है। उत्तर दिशा में नीले रंग का प्रयोग मानसिक शांति, अवसरों और करियर में प्रगति लाता है।
लाभ: धन, ज्ञान और सकारात्मक ऊर्जा की वृद्धि।
दिशाएँ: ENE, E, ESE
वायु तत्व जीवन में ऊर्जा और गति का प्रतीक है। पूर्व दिशा में हरे रंग का प्रयोग स्वास्थ्य, वृद्धि और पारिवारिक सामंजस्य लाता है।
लाभ: अच्छा स्वास्थ्य, नए अवसर और रिश्तों में सामंजस्य।
दिशाएँ: SE, SSE, S
अग्नि ऊर्जा, शक्ति और आत्मविश्वास का प्रतीक है। दक्षिण दिशा में लाल रंग का प्रयोग साहस और सफलता को बढ़ाता है।
लाभ: नेतृत्व क्षमता, आत्मविश्वास और करियर में उन्नति।
दिशाएँ: SW, SSW
पृथ्वी स्थिरता और सुरक्षा का प्रतीक है। नैऋत्य दिशा में पीला रंग स्थायित्व और मजबूत रिश्तों को बढ़ावा देता है।
लाभ: परिवार में स्थिरता, धन संचय और सुरक्षा।
दिशाएँ: WSW, W, WNW, NW
आकाश तत्व अनंत संभावनाओं और ज्ञान का प्रतीक है। पश्चिम और वायव्य दिशाओं में सफेद रंग का प्रयोग मानसिक स्पष्टता और आध्यात्मिकता को बढ़ाता है।
लाभ: अध्यात्मिक उन्नति, रचनात्मकता और नई संभावनाएँ।
सफेद रंग को Neutral Colour भी माना जाता है। इसका प्रयोग किसी भी दिशा में किया जा सकता है जहाँ संतुलन और पवित्रता की आवश्यकता हो। यह मन और वातावरण को शुद्ध और शांत करता है।
हर दिशा के साथ एक तत्व और उसका उपयुक्त रंग जुड़ा हुआ है। यदि घर, कार्यालय या किसी भी स्थान पर इनका सही उपयोग किया जाए, तो न केवल नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है बल्कि जीवन में संतुलन, स्वास्थ्य और समृद्धि भी आती है।
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