ज्योतिष शास्त्र में जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली उपलब्ध नहीं होती, लेकिन किसी विशेष प्रश्न का उत्तर जानना हो — तो प्रश्न कुंडली का सहारा लिया जाता है।
यह एक विशेष प्रकार की कुंडली होती है, जो प्रश्न पूछे जाने के समय और स्थान के आधार पर बनाई जाती है।
इसे “क्षणिक कुंडली” (Instant Horoscope) भी कहा जाता है, क्योंकि यह उसी क्षण ग्रहों की स्थिति के अनुसार फलादेश बताती है।
प्रश्न कुंडली वह ज्योतिषीय विधि है, जिसमें व्यक्ति के मन में उठे किसी विशेष प्रश्न का उत्तर उसी समय के ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति देखकर दिया जाता है।
उदाहरण:
क्या मेरा कार्य सफल होगा?
यह यात्रा शुभ रहेगी या नहीं?
विवाह कब संभव है?
व्यापार में लाभ होगा या हानि?
ज्योतिषाचार्य उस समय की ग्रह स्थिति देखकर उत्तर निकालते हैं।
प्रश्न कुंडली तैयार करने के लिए 3 मुख्य बातें आवश्यक हैं —
प्रश्न पूछने का समय (Exact Time of Question)
→ जिस समय प्रश्न पूछा गया, उसी समय की ग्रह स्थिति दर्ज की जाती है।
स्थान (Place)
→ जहाँ से प्रश्न पूछा गया, उसी स्थान का देशांतर व अक्षांश निर्धारित किया जाता है।
लग्न (Ascendant)
→ उसी समय का लग्न कुंडली में प्रमुख होता है, जिससे प्रश्न का उत्तर खोजा जाता है।
प्रश्न कुंडली के माध्यम से किसी भी कार्य की सफलता या असफलता का निर्णय किया जा सकता है।
कुछ प्रमुख संकेत इस प्रकार हैं —
संकेत | अर्थ |
---|---|
लग्नेश बलवान | कार्य सफल होने के योग |
लग्नेश नीच या पापग्रह से युक्त | परिणाम प्रतिकूल |
चंद्रमा शुभ स्थान में | मनोबल और सफलता की संभावना |
चंद्रमा पापभाव में | भ्रम या विलंब |
पंचमेश और नवमेश शुभ | सौभाग्य और सहयोग प्राप्त |
दशम भाव शुभ ग्रह से युक्त | कार्यक्षेत्र में सफलता |
यदि व्यापारी यह जानना चाहता है कि नया सौदा लाभकारी रहेगा या नहीं, तो प्रश्न कुंडली देखकर बृहस्पति, बुध और दशम भाव की स्थिति से उत्तर मिलता है।
विवाह से संबंधित प्रश्नों में सप्तम भाव और शुक्र की स्थिति का अध्ययन किया जाता है।
यदि शुक्र शुभ ग्रहों से दृष्ट हो और सप्तमेश बलवान हो, तो विवाह शीघ्र और शुभ होता है।
यात्रा के शुभ-अशुभ परिणाम जानने के लिए नवम भाव और चंद्रमा की स्थिति महत्वपूर्ण होती है।
यदि चंद्रमा शुभ नक्षत्र में हो, तो यात्रा सफल रहती है।
लग्न विश्लेषण: प्रश्न की प्रकृति के अनुसार लग्न भाव देखा जाता है।
चंद्र कुंडली: चंद्रमा की स्थिति से मनोदशा और निर्णय का संकेत मिलता है।
भाव और भावेश: संबंधित भावों (जैसे सप्तम भाव विवाह के लिए, दशम भाव कार्य के लिए) का विश्लेषण।
ग्रह दृष्टि और संयोजन: शुभ ग्रहों का योग परिणाम को सकारात्मक बनाता है।
प्रश्न संख्या विधि (Horary Number): यदि प्रश्नकर्ता कोई संख्या बोले, तो उसी आधार पर कुंडली बनाकर परिणाम निकाला जाता है।
तत्काल उत्तर प्राप्त करना
भविष्य की संभावनाओं का संकेत
शुभ-अशुभ निर्णय में सहायता
उचित दिशा और उपाय सुझाना
बिना जन्म कुंडली के भी सटीक भविष्यफल
प्रश्न कुंडली एक शक्तिशाली ज्योतिषीय तकनीक है, जो केवल ग्रहों की स्थिति नहीं बल्कि प्रश्नकर्ता की मनोवृत्ति को भी दर्शाती है।
यह विधि अनुभवी ज्योतिषाचार्यों द्वारा अपनाई जाती है और सही मार्गदर्शन देती है।
चाहे प्रश्न यात्रा से जुड़ा हो, विवाह से या व्यापार से — प्रश्न कुंडली हर प्रश्न का उत्तर देने में सक्षम है।
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